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ये 4 M क्या है, जिसके बूते अकेली ममता बनर्जी ने BJP ब्रिगेड को किया चित

कोलकाता पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal election Result) में जारी वोटों की गिनती में अब तक आए रुझानों में तृणमूल कांग्रेस (TMC) हैट्रिक लगाती दिख रही है। ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) लगातार तीसरी बार पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज होती दिख रही हैं।

पश्चिम बंगाल में ये 4M क्या है?

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव प्रचार और वोटिंग पर गौर करें तो चार शब्दों मतुआ, मुस्लिम, महिला और ममता की खूब चर्चा होती रही। इन चारों शब्दों की शुरुआत M से होती है, इसलिए 4M की चर्चा हो रही है। बीजेपी को उम्मीद थी कि ये 4M ही उन्हें चुनाव में जीत दिलाएंगे, लेकिन अब तक के रुझानों को देखकर लगता है कि यह उल्टा पड़ गया है। 4M का फायदा सीधा-सीधा ममता बनर्जी और टीएमसी को होता दिख रहा है।

‘M’ फॉर मतुआ ने PM पर नहीं किया पूरी तरह यकीन!

चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी की ओर से दावा किया जा रहा था कि ये 4M उन्हें फायदा पहुंचाएंगे। 2 करोड़ की आबादी वाले मतुआ समुदाय का वोट हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वोटिंग के दिन बांग्लादेश दौरे पर इस समुदाय के मंदिर में पूजा करने पहुंचे। लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद लगता है कि मतुआ समुदाय के अधितक वोटर बीजेपी पर भरोसा करने के बजाय पहले की ही तरह ममता बनर्जी को ही अपना नेता माना है।

ओवैसी या किसी ओर के बहकावे में नहीं आए ‘M’ फॉर मुस्लिम!

चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी लगातार आरोप लगा रही थी कि ममता बनर्जी मुस्लिम तुष्टीकरण करती हैं। ममता बनर्जी ने चुनावी मंच से मुस्लिमों को एकजुट रहने का संदेश दिया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेहद सधे हुए शब्दों में पश्चिम बंगाल के हिंदुओं को बीजेपी को सपोर्ट करने का संदेश दे गए। बीजेपी को उम्मीद थी कि मुस्लिमों का वोट ममता के पक्ष में जाने से हिंदुओं का एक मुश्त वोटर बीजेपी को जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मुस्लिम वोटरों को ममता से दूर करने के लिए AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी कई सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे, लेकिन यहां वह बिहार जैसा कमाल नहीं कर सके। ममता बनर्जी नें तेजस्वी यादव वाली गलती नहीं कि और मुस्लिम वोटरों को अपने साथ जोड़े रहने में सफल हुईं।

‘M’ फॉर महिलाओं ने दीदी को किया सपोर्ट!

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में वोटिंग के दौरान बूथों पर महिलाओं की खासी भीड़ देखी गई थी। वोटिंग के लिए महिलाओं के उत्साह को देखकर बीजेपी को उम्मीद थी कि यह सपोर्ट उनके प्रत्याशियों को मिलने वाला है, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। पिछले साल बिहार विधानसभा चुनावों में बूथों पर महिलाओं खासी आबादी जुटने का फायदा बीजेपी और नीतीश कुमार को हुआ था, लेकिन बंगाल में ऐसा नहीं हुआ है। अब तक आए रुझानों से स्पष्ट होता दिख रहा है कि अधिकतम महिलाओं ने ममता दीदी को ही अपना वोट दिया है।

‘M’ फॉर ममता बनर्जी की छवि को धूमिल नहीं कर पाई बीजेपी

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ‘जय श्रीराम’ के नारे से सार्वजनिक मंचों पर चिढ़ती हैं। इस वजह से बीजेपी पूरे चुनाव प्रचार में उन्हें हिंदू विरोधी दिखाने की कोशिश करती रही। इसके जवाब में ममता बनर्जी ने चुनावी मंच से चंडी पाठ किया। जब ममता को बीजेपी ने मुस्लिम बता दिया तो उन्होंने बताया कि वह ब्राह्मण हैं और शांडिल्य गोत्र की हैं। जब पीएम मोदी ने मंच से ‘दी ओ दी…’ कहकर तीखे प्रहार किए तो जवाब में ममता ने भी खूब हमले किए। पीएम मोदी ने बंगाल के लोगों से कंनेक्ट करने के लिए अपनी दाढ़ी आदरणीय रविंद्र नाथ ठाकुर की तरह बना लिया तो ममता बनर्जी ने चोट की बात कहकर पूरा चुनाव प्रचार व्हिलचेयर पर कीं। यानी सहानुभूति वोट के लिए भी ममता ने व्हिलचेयर को तगड़ा दांव खेला। इसके अलावा ममता बनर्जी पूरे चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को बाहरी बताती रहीं, जबकि खुद को धरती पुत्री और बंगाल की बेटी कहकर संबोधित करती रहीं। यानी M फॉर ममता बनर्जी भी बीजेपी को नुकसान पहुंचा गई।

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