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किसान संगठनों के काला दिवस से एमपी के भारतीय किसान संघ ने किया किनारा…

भोपाल. दिल्ली बॉर्डर पर किसान संगठनों के काला दिवस (Black day) के आंदोलन का भारतीय किसान संघ (Kisan sangh) की मध्य प्रदेश इकाई ने विरोध किया है. उन्होंने इस आंदोलन का समर्थन नहीं किया और इससे अब किनारा करते हुए इसे तथाकथित किसानों के जरिए देश में भय, आतंक और भ्रम फैलाना वाला बताया है.भारतीय किसान संघ के महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने बताया कि दिल्ली की सीमा पर आंदोलन कर रहे किसान नेताओं ने 26 मई को लोकतंत्र का काला दिवस मनाने का ऐलान किया है. चौधरी ने कहा भारतीय किसान संघ इसका विरोध करता है. उन्होंने कहा इसके पीछे 26 जनवरी जैसा आतंक फैलाने की योजना दिखाई दे रही है. 26 मई का दिन चुनने के पीछे यही कारण हो सकता है. किसानों के नाम पर तथाकथित किसान नेता राजनीति कर रहे हैं. इससे देशभक्त किसान शर्मिंदा हैं.भारतीय किसान संघ शुरू से ही आंदोलन से दूरबद्रीनारायण चौधरी ने कहा भारतीय किसान संघ ने आंदोलन शुरू होने के कुछ दिन बाद ही आशंका व्यक्त की थी कि यह किसानों का आंदोलन नहीं है. आंदोलन कुछ अराजक तत्व के हाथों में संचालित हो रहा है. उन्होंने अप्रैल-मई की घटना का जिक्र किया कि बंगाल के एक किसान की बेटी के साथ गैंगरेप के बाद उसकी हत्या दिल्ली बॉर्डर पर की गई. इस घटना को 15 दिन तक पुलिस से छुपाया गया और सबूत को नष्ट किया गया. इसके सबूत नष्ट करने में नेतागण लिप्त पाए गए हैं. उन्होंने कहा यह एक घटना है जो बाहर आ गई, ना जाने क्या क्या घटनाएं है वहां पर हो रही हैं जिसका पता ही नहीं चल पा रहा है.12 राजनीतिक दलों ने किया समर्थनचौधरी ने कहा 12 राजनीतिक दलों ने इस काले दिवस वाले कार्यक्रम के समर्थन की घोषणा की है. उनको भी यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वह आंदोलन में घटित शर्मनाक राष्ट्र विरोधी और आपराधिक घटनाओं का समर्थन करते हैं. देश का आम किसान जानना चाहता है कि लाचार किसानों के नाम को बदनाम करने का ठेका इन लोगों ने किसने दे दिया. भारतीय किसान संघ की आम जनता से अपील की है कि इन हरकतों में देश के आम किसानों को दोषी नहीं ठहराया जाए. देशभर के किसान संगठनों के कार्यकर्ता इस महामारी में अपने-अपने स्तरों पर ग्रामीणों में जन जागरण, भूख प्यास आवश्यकता पूर्ति, औषधि उपचार की व्यवस्था में लगा हुआ है. उसका इन तथाकथित आंदोलन से कोई वास्ता नहीं है.

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