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दसवीं का रिजल्ट ही रहेगा बारहवीं के प‎रिणाम का आधार

भोपाल । बारहवीं के परीक्षा परिणाम का अंतिम आधार हाईस्कूल परीक्षा 2019 का रिजल्ट ही रहेगा। दसवीं कक्षा में प्राप्त कुल अंकों पर बोनस देकर हो रही ‎बारहवीं का रिजल्ट देने की तैयारी चल रही है। हाईस्कूल और हायर सेकंडरी के समान विषयों में अंक देने को लेकर कोई दिक्कत नहीं है। दिक्कत उन विषयों के अंकों में है, जो हाईस्कूल में नहीं हैं। ऐसे में माशिमं या मप्र बोर्ड ने हाईस्कूल में प्राप्त कुल अंकों में से औसत अंक निकालकर 12वीं का परिणाम तैयार करने की सलाह दी है। हाईस्कूल में 70 फीसद तक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का परिणाम 10 फीसद बोनस अंक के साथ और उससे ज्यादा अंक पाने वालों को पांच फीसद बोनस अंक बढ़ाकर जारी करने पर भी विचार चल रहा है। हालांकि अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ही लेना है। इसके लिए 28 जून को मंत्री समूह (परिणाम का फार्मूला तय करने के लिए गठित समूह) की बैठक बुलाई गई है। हायर सेकंडरी के परीक्षा परिणाम का फार्मूला सरकार के बड़े मंथन का विषय बन गया है। फार्मूला तय करने के लिए गठित मंत्री समूह कई दौर की बैठक कर चुका है। हर बार एक नई समस्या सामने आ गई। तीन दिन पहले आयोजित समूह की बैठक में इस पर तर्क-वितर्क हुआ कि हाईस्कूल में जो विषय नहीं हैं। उनके अंक किस आधार पर दिए जाएं। बैठक में रसायन शास्त्र, भौतिक शास्त्र, राजनीति शास्त्र, इतिहास, अर्थशास्त्र, व्यवसायिक अध्ययन, अकाउंटेंसी, होम साइंस, कृषि, फाइन आर्ट्स और वोकेशनल पाठ्यक्रम की बात हुई। ये सभी विषय हाईस्कूल में नहीं हैं। हाईस्कूल की बेस्ट फाइव (ज्यादा अंक वाले किन्हीं पांच विषयों के आधार पर परिणाम तैयार करना) योजना भी समस्या बनी हुई है क्योंकि हाईस्कूल में ज्यादातर विद्यार्थी मुख्य विषय अंग्रेजी, विज्ञान और गणित से भी बाहर हैं। हायर सेकंडरी के परीक्षा परिणाम में सरकारी स्कूलों पर विशेष मेहरबानी हो सकती है। दरअसल, अब तक जितनी भी बैठकें हुई हैं। उन सभी में विभाग के अधिकारियों ने सिर्फ सरकारी स्कूलों के बेहतर परिणाम पर जोर दिया है। इसे लेकर माशिम और विभाग के अधिकारियों के बीच तर्क-वितर्क भी हुआ है। मंडल के अधिकारियों का कहना था कि मंडल परीक्षा एजेंसी है और उसके लिए सरकारी और निजी स्कूल बराबर हैं। दरअसल, इन विद्यार्थियों के इन विषयों में कम अंक आए थे और परिणाम तैयार करते समय कम अंक वाले विषयों को छोड़ दिया गया। ऐसे में सरकार के सामने हाईस्कूल में प्राप्त अंकों को आधार बनाकर परिणाम देने का विकल्प बचता है। सूत्र बताते हैं कि स्कूल शिक्षा विभाग ने यही फार्मूला मुख्यमंत्री को भेजा है। 

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