बारिश का मौसम कई बीमारियों के लिए खतरा बनता है, जिनमें मच्छरों से होने वाली बीमारियां प्रमुख हैं। बारिश के मौसम में पानी के जमा होने एवं गंदगी होने के कारण मच्छरों का पनपना आसान होता है। मच्छरों के काटने से डेंगू, मलेरिया, चिकिनगुनिया जैसी बीमारियां होती हैं जो कि कई बार गंभीर भी हो सकती हैं। 20 अगस्त 1897 को डॉ. रोनाल्ड रॉस द्वारा इस बात का पता लगाया गया था कि मलेरिया रोग मच्छर के काटने से होता है। तब से इस दिन को मच्छर दिवस के रूप में मनाया जाता है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि मच्छरजनित बीमारियों में मलेरिया सबसे प्रचलित बीमारी है। यह बीमारी मादा एनाफिलीज़ मच्छर के काटने से होती है। ठंड लगकर बुखार आना मलेरिया का प्रमुख लक्षण हैं। मलेरिया की जांच एवं दवाईयां सभी शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में निःशुल्क प्रदान की जाती है। साथ ही आशा कार्यकर्ताओं से संपर्क कर भी जांच करवाई जा सकती है। मलेरिया के इलाज हेतु प्रमाणिक एवं सुरक्षित दवाएं उपलब्ध हैं। मच्छरों से होने वाली बीमारी डेंगू की पहचान सही समय पर ना किये जाने पर घातक रूप ले सकती है। यह बीमारी एडीज मच्छर के काटने से फेलती है। जब कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी रोगी को काटता है तो वह उस रोगी का खून चूसता है। खून के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर में प्रवेश कर जाता है। मच्छर के शरीर में डेंगू वायरस का कुछ और दिनों तक विकास होता है। जब डेंगू वायरस युक्त मच्छर किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह डेंगू वायरस को उस व्यक्ति के शरीर में पहुँचा देता है । इस प्रकार वह व्यक्ति डेंगू वायरस से संक्रमित हो जाता है तथा कुछ दिनों के बाद उसमें डेंगू बुखार रोग के लक्षण प्रकट हो सकते हैं। जिस दिन डेंगू वायरस से संक्रमित कोई मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो उसके लगभग 3-5 दिनों बाद ऐसे व्यक्ति में डेंगू बुखार के लक्षण प्रकट हो सकते हैं। यह संक्रामक काल 3-10 दिनों तक भी हो सकता है।