प्रथम पूज्य भगवान गणेश की देश भर में कई प्रसिद्ध मंदिर और उससे जुड़ी किवदंतियां सुनी होगी, लेकिन संस्कारधानी में एक अर्जी वो गणेशजी का मंदिर लोगों के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है। नर्मदा तट पर बने इस मंदिर में लोग अपनी मनोकामना पूरी करने की लिखित अर्जी एक नारियल के साथ लगाते हैं। अब तक 1.80 लाख अर्जियां लगाई जा चुकी हैं। मंदिर प्रबंधन का दावा है कि इसमें से 60 हजार की मनोकामना पूरी हो चुकी है। हर अर्जी का यहां ब्यौरा नाम, पता व मोबाइल नंबर के साथ रजिस्टर में दर्ज किया जाता है।मंदिर से जुड़ी आस्था है कि जब इसके निर्माण की तैयारी चल रही थी तब प्रारंभ में मंदिर को भूमि तल से 5-6 फीट ऊपर उठाकर बनाने का निर्णय लिया गया। पर जब मंदिर निर्माण के लिए खुदाई शुरू हुई तो 4 फीट नीचे भगवान श्रीसिद्ध गणेश की लगभग ढाई फीट उंची प्रतिमा मिली। मंदिर निर्माण के बाद, इसी प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया गया।मंदिर की खास-खास बातें26 नवंबर 2001 में कार्तिक शुक्ल एकादशी को मंदिर का निर्माण शुरू10 सितंबर 2002 गणेश जन्मोत्सव भाद्र शुक्ल चतुर्थी को जयपुर से मूर्ति लाकर स्थापित की गई। मंदिर में बीमारी, नौकरी, परिवार परेशानियों की अर्जियां विशेष रूप से लगाई जाती है। मंदिर में पीपल पेड़ से निकली जड़ों से गणेश आकार की प्रतिमा भी स्थापित है।गणेश प्रतिमा के पीछे वह मूर्ति स्थापित है जो जमीन से प्रकट हुई थी।रामलला मंदिर के संस्थापक स्वामी रामनिरंजनाचार्य के पुत्र स्वामी रामबहादुर के प्रयासों से मंदिर का निर्माण हुआ। अर्जी पूरी होने के बाद लोग हवन-पूजन के साथ भंडारा कराने पहुंचते हैं।