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ज्योतिषमध्यप्रदेश

17 महीने बाद महाकाल की भस्मारती में अरसे बाद श्रद्धालुओं के जयकारे से गूंजा मंदिर

उज्जैन देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रसिद्ध श्री महाकलेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में 17 महीने बाद शनिवार सुबह से भस्मारती में श्रद्धालुओं को प्रवेश मिलना शुरू हो गया। पहले दिन 696 श्रद्धालुओं को प्रवेश की अनुमति दी गई। किसी भी श्रद्धालु को नंदी हॉल व गर्भ गृह में प्रवेश नहीं दिया गया था। गणेश मंडपम् और कार्तिकेय मंडपम् से ही श्रद्धालु भस्मारती में शामिल हुए lपहले दिन दिल्ली, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने महाकाल से सुख-समृद्धि मांगी और कोविड से मुक्ति के लिए प्रार्थना की। कोविड-19 गाइडलाइन के चलते मंदिर में भस्मारती के दौरान श्रद्धालुओं के प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया गया था।बैठने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग नहीं रख सके श्रद्धालुसुबह 4 बजे मंदिर के पट खोलने के बाद श्रद्धालुओं को गेट नंबर 4 से आम श्रद्धालु और गेट नंबर 5 से प्रोटोकॉल वाले श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया गया। सभी की अनुमति जांच करने के लिए मंदिर समिति ने प्रवेश द्वार पर ही व्यवस्था जुटाई गई थी। भक्तों के प्रवेश और बैठने पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन जरूर नहीं हो पाया और भीड़ को एक साथ छोड़ा गया, जिससे भक्त एक ही कतार में गणेश मंडपम और कार्तिकेय मंडपम तक पंहुचे थे।श्रद्धालुओं को गर्भगृह में जल चढ़ाने की अनुमति नहींमहाकाल मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने बताया 17 माह बाद शुरू हुई भस्म आरती के लिए श्रद्धालुओं में उत्साह देखे लायक था। 50 प्रतिशत क्षमता के साथ श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया गया है। शनिवार को हुई भस्म आरती के लिए कुल 696 परमिशन दी गयी थी। किसी भी श्रद्धालु को गर्भ गृह में जाकर जल चढ़ाने की अनुमति नहीं दी गई।श्रद्धालु बोले- डेढ़ साल से इंतजार कर रहे थे, आज मनोकामना पूरी हुईसुबह 4 बजे श्रद्धालुओं के महाकाल मंदिर में प्रवेश करते ही परिसर भगवान शिव के जयकारों से गूंजा उठा। कई भक्त शोला पहनकर भस्म आरती में शामिल हुए। श्रद्धालु आशुतोष द्विवेदी ने बताया प्रशासन की व्यवस्था बहुत अच्छी रही। बीते डेढ़ साल से इस पल का इंतजार कर रहा था। जयपुर से आए अशोक मेहता ने बताया कोरोना से पहले वर्ष में दो बार भस्म आरती में शामिल होता था, आज सब मनोकामना पूर्ण हो गई। भोपाल से आईं मोनिका गुप्ता ने बताया मंदिर प्रशासन की व्यवस्था शानदार थी, जिससे सुगमता से दर्शन हो पाए।ऐसे हुई आरतीबाबा महाकाल को सभी पंडे-पुजारियों ने नियम अनुसार जल व दूध से अभिषेक किया। घी, शहद, शकर व दही से पंचामृत अभिषेक किया गया। अभिषेक के बाद बाबा का शृंगा कर भस्म रमाई गई। करीब 1 घंटे चली भस्मारती के बाद बाबा का चंदन, फल, व वस्त्र से विशेष शृंगार किया गया था।एक दिन में एक हजार को अनुमतिबुकिंग 7 सितंबर से शुरू हो गई है। महाकाल ऐप या महाकाल मंदिर की ऑफिशियल वेबसाइट पर पहले आओ, पहले पाओ की तर्ज पर अनुमति दी जाएगी। 850 श्रद्धालु ऑनलाइन बुकिंग करा सकेंगे, जबकि 150 श्रद्धालु ऑफलाइन बुकिंग करा सकेंगे।

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