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कृषि

उत्तर प्रदेश से पहली बार विदेश में केला किया जा रहा निर्यात, लखीमपुर के किसानों के नाम होगी बड़ी उपलब्धि

यूपी के लखीमपुर के किसानों को कृषि की वजह से बड़ी उपलब्धि मिलने वाली है. उत्तर प्रदेश से पहली बार विदेश में केला निर्यात किया जा रहा है. इसकी पैदावार लखीमपुर के पलिया कलान क्षेत्र के किसानों ने की है. 40 मीट्रिक टन केले की पहली खेप ईरान के लिए 14 अक्टूबर को रवाना हुई है. इस उपलब्धि के बाद लखीमपुर खीरी का नाम भी देश के महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश जैसे प्रदेश के किसानों के साथ दर्ज हो जाएगा जो उन्नत तकनीक से केले की पैदावार करते हैं.

पहली बार यूपी से होगा निर्यातयूपी के तराई क्षेत्र की जलवायु की वजह से वैसे तो केले की पैदावार इस क्षेत्र में होती है, लेकिन लखीमपुर खीरी के किसानों के नाम यह बड़ी उपलब्धि दर्ज होगी. क्षेत्र के मेहनतकश किसानों को अपने केले की फ़सल को निर्यात का ऑर्डर मिलना बड़ी बात है.पलिया कलान क्षेत्र के किसानों की केले की फसल का 40 मीट्रिक टन केला ईरान निर्यात किया जा रहा है. इसके लिए उच्चस्तरीय तकनीक और ‘मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट’ को माध्यम बनाया जाएगा. अब तक केवल महाराष्ट्र,आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों से केला निर्यात किया जाता था और यूपी के किसान अभी तक अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार से दूर थे.उत्पादन में विशेष तकनीक का इस्तेमालकेले के इस निर्यात के पीछे किसानों की मेहनत के अलावा उन्नत तकनीक भी है. केले की शेल्फ लाइफ (shelf life) बहुत कम होती है. इसको ज्‍यादा दिन तक रखने के लिए न सिर्फ इसके उत्पादन के बाद पैकेजिंग पर ध्यान देना होता है बल्कि ज्‍यादा समय तक इसको रखने के केले का पेड़ लगाते समय ही विशेष तकनीक अपनायी जाती है. यानी इसके shelf life के लिए शुरू से ही इसकी देखभाल और बचाव का विशेष तरीका अपनाना होता है. फि‍लहाल, लखीमपुर खीरी के हज़ार एकड़ में इस तकनीक से केला लगाया गया था.केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले APIDA के यूपी, बिहार, झारखंड के प्रमुख सी बी सिंह कहते हैं, “इससे यूपी में केले की पैदावार करने वाले किसानों का केला सीधे अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में जाएगा और किसानों को सीधा लाभ मिलेगा. किसानों की आमदनी बढ़ेगी. यही नहीं, इस प्रयास के बाद लखीमपुर के किसान एक मॉडल के रूप में सामने आएंगे.” इसके बाद गोरखपुर और वाराणसी में भी इसी तकनीक से निर्यात का प्रयास किया जा रहा है. केले को ईरान तक पहुँचाने के लिए 40 फ़ीट के दो कंटेनर का प्रयोग किया जाएगा जो मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट से ईरान के लिए रवाना होगा. ये खेप 15 दिन में ईरान के मार्केट में होगी.क्‍या है मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्टकेला लखनऊ में मलीहाबाद के पैक हाउस में पैक किया गया है. यहां से यह सड़क से कानपुर तक जाएगा. कानपुर से ट्रेन से मुंबई के जवाहर लाल नेहरू पोर्ट पहुंचेगा जहां से यह ईरान के लिए रवाना होगा. इसके निर्यात के लिए काम करने वाले देसाई एग्रो (Desai Agro)के प्रमुख अजीत देसाई लखीमपुर के किसानों का विशेष प्रशिक्षण भी करवा चुके हैं.उनका कहना है कि वर्तमान में बहुत उन्नत तकनीक से केले के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है. ये प्रयोग महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, छत्तीसगढ़ में हो चुका था पर यूपी के किसानों के लिए ये पहला मौका है.उन्‍होंने आगे कहा कि अभी दुनिया में केले के उत्पादन का 30 प्रतिशत भारत में होता है पर विश्व बाज़ार में टॉप की कम्पनियों में 3 अमेरिकी और 1 आयरलैंड की कम्पनी है. इसलिए देश में केले का उत्पादन करने वाले किसानों को उन्नत टेक्निक से उसकी क्वालिटी बढ़ाने की ज़रूरत है.

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