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मध्यप्रदेश

खुद को जीवित साबित करने में पेंशनरों की हो रही फजीहत

भोपाल । पेंशन की खातिर सरकारी विभागों से सेवानिवृत्त हो चुके पेंशनरों को खुद को जीवित साबित करने में जमकर फजीहत झेलनी पड़ रही है। उम्र के अंतिम पड़ाव में पहुंच चुके पेंशनरों को भी सुबह से लेकर शाम तक बैकों में लाइन लगा कर भौतिक सत्यापन करवाना पड़ रहा है। जिससे यह साबित हो सके कि वे जीवित है। इस बार पेंशनरों का सत्यापन अधिकांश बैकों में बायामेट्रिक मशीन के जरिए कराया जा रहा है। इसमें दिक्कत ये है कि अधिकांश वृद्ध पेंशनरों की अंगूठे व अंगुलियों की रेखाएं मशीन में नहीं आ रही। ऐसे में सुबह से लाइन में लगे पेंशनरों को लाइन से हटाकर नए सिरे से फार्म भरने कहा जा रहा है। जिसमें पेंशनरों का समय, श्रम के साथ धन भी खर्च हो रहा है। क्योंकि फार्म के साथ फोटो, आधारकार्ड, बैंक की पासबुक कापी सहित अन्य दस्तावेज जमा करने पड़ रहे हैं।कई बैंकों में नहीं अलग काउंटर पेंशनरों की माने तो पेंशनरों का सत्यापन करने के लिए अधिकांश बैंको में अलग से कांउटर ही नही है। एक ही काउंटर से पेंशनरों का सत्यापन करने में समय लग रहा है। बीमार व अतिवृद्ध पेंशनरों इतनी परेशानी हो रही है कि वे बिना सत्यापन कराए ही घर लौटने विवश हो रहे हैं। उसमें भी कुछ बैंक कर्मियों का रवैया भी पेंशनरों के प्रति असंवेदनशील है।पोर्टल बंद होने से नगरीय निकाय के पेंशनर भी पस्तइतना ही नहीं समाजिक न्याय विभाग द्वारा जिन पेंशनरों को योजनाओं के तहत समाजिक पेंशन दी जाती है। वे पेंशनर भी भौतिक सत्यापन कार्य से पस्त है। क्योंकि नगर निगम द्वारा पेंशनरों के सर्वेक्षण और सत्यापन कार्य में पहले दिलचस्पी नहीं ली गई और जब ली तो एम मिशन पोर्टल ही तकनीकी खराबी के कारण बंद हो गया है। पेंशनर नगरीय निकाय के चक्कर ही लगा रहे हैं।

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