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कृषिमध्यप्रदेश

मांग के अनुरूप नहीं हो पाई यूरिया की आपूर्ति

भोपाल । रबी की फसल के लिये जरूरी रासायनिक खाद की कमी किसानों के लिये समस्या का कारण बन गई है। मांग और आपूर्ति के बीच यह अंतर यूरिया में ही करीब 3 लाख मिट्रिक टन तक पहुंच गया है। हालांकि कृषि मंत्री कमल पटेल इस बात से इंकार करते हैं। साथ ही दावा करते है कि खाद की कमी नहीं, बल्कि समस्या वितरण व्यवस्था में रही है। जिलों में अव्यवस्था को देखते हुए ही अब वितरण का 70 प्रतिशत जिम्मा सोसायटियों पर छोडऩे के बाद इसका समाधान भी हो गया है। बहरहाल दूसरे रासायनिक उर्ववरकों को छोड़कर रवी की फसल के लिये आवश्यक यूरिया की ही बात करें तो, 20 हजार लाख मिट्रिक टन यूरिया की कुल आवश्यकता के अनुरूप 6 दिसंबर तक सिर्फ 11.18 हजार लाख मिट्रिक टन यूरिया उपलब्ध हो पाया है। जबकि एक अक्टूबर से अब तक इसकी उपलब्धता 13.97 हजार लाख मिट्रिक टन होनी चाहिये थी। 3 लाख मिट्रिक टन का यह अंतर अचानक नहीं आया है। यह जरूर है कि सप्ताह भर पहले मांग व आपूर्ति के बीच यह अंतर सिर्फ 1.87 लाख मिट्रिक टन में सिमटा हुआ था। लिहाजा मांग व आपूर्ति के बीच यह अंतर ही खाद की किल्लत बढ़ा रहा है। खास बात यह है कि सरकार द्वारा वितरण प्रबंधन में किये गये बदलाव के बाद भी व्यवस्था में फिलहाल कोई सुधार नहीं दिखा है। जबकि किसानों ने यूरिया की कमी व समस्या को देखते हुए गेंहूं छोड़कर चने की बुवाई की ओर रूख कर लिया है। बता दें कि सरकार ने यूरिया सहित दूसरे उर्वरकों के वितरण की व्यवस्था सोसायटी के माध्यम से शुरू कर दी है।खाद किसान को मिली या नहीं यह कौन देखेगावितरण व्यवस्था में किया गया बदलाव भी किसानों के लिये परेशानी का कारण बन गया है। खाद की कमी पर चिंता जाहिर कर भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष कमल ङ्क्षसह आंजना सोसायटियों की स्थिति व प्रशाासकीय प्रबंधन को आड़े हाथ लेते हुए कहते हैं कि किसानों को खाद मिली या नहीं, यह कौन देखेगा। जबकि गरीब किसानों के पास बैंक खाते नहीं है। दूसरी तरफ सोसायटियों में नगद भुगतान की व्यवस्था नहीं है। यहां गंधक, पोटाश और सल्फर जैसे दूसरे पोषक तत्व भी अनुपलब्ध है। सूक्ष्म प्रबंधन मौजूदा समय की आवश्यकतामौजूद स्थिति को देखते हुए कृषि विशेषज्ञ प्रशासकीय दृष्टि से सूक्ष्म प्रबंधन की आवश्यकता मानते हैं। मप्र कृषि सलाहकार परिषद के पूर्व सदस्य केदार शंकर सिरोही कहते हैं कि सोसायटियों को जिम्मेदारी भर देना समाधान नहीं है। जब तक कि आपूर्ति व वितरण के प्रबंध नहीं किये जाएं। यह समझ से परे है कि यूरिया नहीं मिलने से किसानों ने चने का रूख किया है। उसके बाद भी यूरिया की किल्लत क्यों बनी हुई है। अब 70 प्रतिशत वितरण सोसायटियों से होगाखाद संकट को लेकर कृषि मंत्री कमल पटेल कहते हैं कि अगर खाद नहीं होती तो बोनी कैसे होती। थोड़ी सी दिक्कत सहकारिता विभाग व विपणन संघ से हुई, क्योंकि डिफाल्टर किसानों को माल देना बंद कर दिया था। इसको देखते हुए इन सोसायटियों को सरकार ने निर्देश दे दिये हैं। अब खाद उपलब्धता व वितरण में कोई दिक्कत नहीं है। हम व्यवस्था कर रहे हैं। सोसाटियों में मिलने लगा तो परेशानी नहीं होगी। 70 प्रतिशत सोसायटियों के माध्यम से व शेष 30 प्रतिशत ही खुले बाजार में बिकेगा। अब कोई परेशानी नहीं होगी।

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