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मध्यप्रदेश

बौद्धिक चिंतन : राज्यपाल श्री पटेलदेश और समाज के लिए उपयोगिता में ही अनुसंधान की सार्थकताराज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने पीएच.डी. कॉलोक्वियम के प्रथम-सत्र को किया संबोधित

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि वंचित वर्गों के विकास के लिए बौद्धिक चिंतन पर बल दिया जाना जरूरी है। शरीर के किसी भी अंग में समस्या होने से व्यक्ति अस्वस्थ हो जाता है। उसी तरह समावेशी समाज में उसके सभी सदस्यों, समुदाय और वर्ग का विकसित और मज़बूत होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पीएच.डी. कॉलोक्वियम के विषय देश, समाज की खुशहाली और विकास का रास्ता है। पीएच.डी. शोध संगोष्ठी के बौद्धिक चिंतन की सार्थकता देश और समाज के लिए उपयोगी अनुसंधान में है। अतः संगोष्ठी का विचार-विमर्श पीएच.डी. शोधकर्ता और विषय-विशेषज्ञों तक सीमित नहीं रहे, उसका देश और समाज में व्यापक प्रसार होना चाहिए।राज्यपाल श्री पटेल प्रशासन अकादमी में अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान द्वारा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित पीएच.डी. कॉलोक्वियम के प्रथम-सत्र को संबोधित कर रहे थे।राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि राष्ट्र और समाज के विकास में ज्ञान और बौद्धिकता का जितना ज्यादा उपयोग होगा, देश और समाज का उतनी तेजी से विकास होगा। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत तेजी से विश्व गुरू बनने की ओर अग्रसर है। सबका विश्वास, साथ और प्रयासों से देश, समाज के विकास पथ में सबका सहयोग और सहभागिता जरूरी है। उन्होंने कहा कि समावेशी विकास के लिए हमारे पर्यावरण, जनता, कौशल, मूल क्षमताओं का किस प्रकार विकास में सर्वश्रेष्ठ उपयोग हो, शोधकर्ताओं को इस पर भी विचार करना होगा। ग्रामीणों के लिए समृद्ध पर्यावरण के साथ स्थायी आजीविका के लिए लाभकारी स्व-रोजगार के अवसर पैदा करने होंगे। ग्रामीणों को शहर की सुविधाओं और गाँव की आत्मा वाला गुणवत्तापूर्ण जीवन उपलब्ध कराने के प्रयास जरूरी हैं। उन्होंने संगोष्ठी के विषयों की सराहना करते हुए कहा कि सभी विषय प्रदेश के विकास और लोगों की खुशहाली का रास्ता हैं। इन पर चिंतन के लिए विषय-विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं को बौद्धिक मंथन का मंच उपलब्ध कराना सराहनीय पहल है।उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि शिक्षा सर्वांगीण विकास का माध्यम है। शिक्षा जीवन की सार्थकता का आधार है। उन्होंने कहा कि शोध कार्य की गुणवत्ता और देश समाज के लिए उसकी उपयोगिता का होना विकास की अनिवार्यता है। उन्होंने संस्थान द्वारा विश्वविद्यालयों के साथ समन्वय कर शोध कार्य को दिशा देने की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने औपनिवेशिक शिक्षा व्यवस्था को बदल कर भारतीय जीवन मूल्यों पर आधारित राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्माण का अभूतपूर्व कार्य किया है। प्रदेश सरकार ने उनके प्रयासों में सहयोग करते हुए देश में सबसे पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू किया है।राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुनील कुमार ने कहा कि अल्प विकसित से विकसित होने के बीच की सीमा-रेखा देश का बौद्धिक वर्ग है। विकसित की श्रेणी में आने वाले सभी राष्ट्रों के विश्वविद्यालय विकसित और समृद्ध हैं। अतः राष्ट्र को विकसित बनाने के लिए विश्वविद्यालयों को समृद्ध बनाना होगा। प्रतिभाओं को सुरक्षित भविष्य प्रदान करते हुए, शोध कार्यों से जोड़ना होगा।

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