श्रीतुलजा भवानी माता नवरात्र में श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। मंदिर में सुबह से शाम तक देवी मां के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की कतार लग रही है। मान्यता है कि यहां अति प्राचीन देवी मां की प्रतिमा दिन में तीन बार रूप बदलती है। सुबह बाल अवस्था, दोपहर में युवा अवस्था और शाम को वृद्धावस्था में मां का स्वरूप नजर आता है।
मान्यता है कि भगवान श्रीराम त्रेता युग में वनवास के दौरान यहां आए थे। उन्होंने माताजी का पूजन किया था। अस्त्र-शस्त्र के वरदान प्राप्त किए थे। इसके पश्चात विजय की ओर आगे बढ़े थे। माताजी की प्रतिमा स्वयंभू प्रकट है।माताजी का स्वरूप महिषासुर का वध करते हुए अष्टभुजी है। साथ ही मंदिर में 64 योगिनी काल भैरव की प्रतिमा भी विराजित है जो दिन में तीन बार स्वरूप बदलती है। नवरात्र में दूर-दूर से यहां भक्त दर्शनों के लिए आते हैं।
दुर्गा पूजा
इस सिद्ध स्थल पर प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में मां का पूजन अभिषेक किया जाता है।दूध, दही, घी शहद और शकर पंचामृत और गन्ने के रस से मां का अभिषेक किया जाता है।सुबह छह बजे प्रातः आरती होती है।दोपहर 12 बजे भोग आरती होती है।शाम को सात बजे माताजी की संध्या आरती होती है।रात्रि 12 बजे संध्या आरती होती है।
सबकी मनोकामना होती है पूरी
तुलजा भवानी माता मंदिर में आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है।जिन भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है वो दीपशिखा में दीप प्रज्वलित करते हैं।दीपशिखा का महत्व सभी देवी-देवता, ग्रह, दिशाएं सभी का आह्वान करके दीप-प्रज्जवलित किया जाता है।दूर-दूर से लोग माताजी के दर्शन करने एवं दीप प्रज्वलित करवाने के लिए आते हैं।मां के दर्शन मात्र से भक्तों को बल और बुद्धि प्राप्त होती है।
-गौरवसिंह चौहान पुजारी
– मंदिर में आने वाले भक्तों के सारे संकटों का निवारण मां तुलजा भवानी करती हैं।मैं मंदिर में दर्शनों के लिए 50 वर्षों से आ रहा हूं।देवी मां के दर्शन मात्र से अद्भुत शांति और शक्ति मिलती है।मां की महिमा अपार है।