विधानसभा में प्रत्याशियों को हराने-जिताने में महिलाओं की भूमिका अहम रही है, बावजूद इनका राजनीतिक प्रतिनिधित्व कम रहा है। ऐसा इस चुनाव में भी देखने को मिल रहा। प्रदेश के 2533 प्रत्याशियों में महिलाओं की संख्या केवल 252 है। यानी 9.94 प्रतिशत। बात उज्जैन जिले की करें तो यहां 52 प्रत्याशियों के बीच सिर्फ एक महिला प्रत्याशी है।
शाजापुर और आगर-मालवा जिले में एक भी महिला नहीं
शाजापुर और आगर-मालवा जिले में तो एक भी नहीं है। उमरिया जिले में सर्वाधिक 19 प्रत्याशियों में 7 प्रत्याशी महिलाएं हैं। इसके बाद गुना, मंडला, बुरहानपुर, सिंगरोली ऐसे जिले जहां हर पांच प्रत्याशी में एक महिला है। शेष जिलों में महिला-पुरुष प्रत्याशियों की संख्या के बीच बहुत बड़ा अंतर है।
देवास | 36 | 02 | 38 |
उज्जैन | 51 | 01 | 52 |
रतलाम | 36 | 03 | 39 |
मंदसौर | 30 | 01 | 31 |
नीमच | 22 | 01 | 23 |
आगर-मालवा | 17 | 00 | 17 |
शाजापुर | 25 | 00 | 25 |
49.46 प्रतिशत वोट की ताकत महिलाओं के पास
उज्जैन में 49.46 प्रतिशत वोट की ताकत महिलाओं के पास है। चुनाव विश्लेषकों का कहना है कि जिस प्रत्याशी ने ‘महिला शक्ति’ को साध लिया समझो उसकी जीत निश्चित है। बीते दो दशकों में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत उज्जैन में लगातार बढ़ा है। साल 2018 के चुनाव में महिलाओं की मतदान में भागीदारी 74.35 प्रतिशत रही थीं। इसके पहले साल 2013 के चुनाव में 70.49 प्रतिशत, 2008 के चुनाव में 66.04 प्रतिशत और 2003 के चुनाव में 63.65 प्रतिशत थी।
यह भी जानिये
- उज्जैन जिले में सात विधानसभा क्षेत्र (नागदा-खाचरौद, महिदपुर, तराना, घटि्टया, उज्जैन-उत्तर, उज्जैन-दक्षिण और बड़नगर) हैं, जहां से चुनाव लड़ने को खड़े 52 प्रत्याशियों के राजनीतिक भविष्य का फैसला 17 नवंबर को यहां के 15 लाख 36756 मतदाता करेंगे। इन आंकड़ों में महिलाओं की संख्या 7 लाख 60189 शामिल है। विशेष बात ये भी कि इस वर्ष युवा महिलाओं की संख्या घटी है।
- जिले में पहली बार मतदान करने का अधिकार पाए 18 ,19 वर्ष आयु के 45240 नवमतदाताओं में युवा महिलाओं की संख्या सिर्फ 18492 है। ये संख्या पिछले चुनाव में 20295 थी।
- 110 वर्ष या इससे अधिक आयु की 10 महिला मतदाता हैं, जबकि पुरुष मतदाता सिर्फ एक ही है।
- महिला-पुरुष लिंगानुपात को लेकर आंकड़ों में जबर्दस्त सुधार हुआ है। उज्जैन का लिंग अनुपात (जेंडर रेशो) घट गया है। अब यहां 1000 पुरुषों पर 979 महिलाएं हैं। पिछले वर्ष 966 थीं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देश का लिंग अनुपात 1000 पुरुषों पर 940 महिला हैं।
भाजपा ने कभी किसी महिला को चुनाव प्रत्याशी नहीं बनाया
जनसंघ से निकल दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी, भारतीय जनता पार्टी ने उज्जैन जिले की सात विधानसभा सीटों में से किसी एक पर भी कभी महिला को चुनाव प्रत्याशी नहीं बनाया। जबकि कांग्रेस कई बार अवसर दिया और इस बार भी दिया।
भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार सन् 1956 में मध्यप्रदेश गठन होने के बाद बीते 67 वर्षों में 14 विधानसभा चुनाव हुए, जिनमें कांग्रेस ने आठ बार महिलाओं को चुनाव मैदान में उतार प्रत्याशी बनाया। इसमें चार बार वे जीती और चार बार हारी।
सन् 1957 राजदन कुंवर किशोरी उज्जैन उत्तर से जीती। 1967 में हंसा बेन पटेल उज्जन उत्तर से हारीं। 1993 और 2008 में कल्पना परुलेकर महिदपुर से जीती। 1998 में उज्जैन दक्षिण से प्रीति भार्गव जीती और 2003 के चुनाव में हारी। 2013 के चुनाव में कल्पना परुलेकर हारी। इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने उज्जैन उत्तर सीट से माया राजेश त्रिवेदी को प्रत्याशी बनाया है।