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मध्यप्रदेश

नर्मदा विकास प्रधिकरण की अजब-गजब व्यवस्था

भोपाल । नर्मदा विकास प्राधिकरण का वाकई ये अजब -गजब का खेल समझ से परे है। नर्मदा का पानी पास वाले स्थान पर महंगा, वहीं दूर वाले स्थान पर सस्ता मिलता है। एनवीडीए दो शहरों को नर्मदा का पानी भेजने की अलग-अलग कीमतें वसूल रहा है। हैरानी की बात यह है कि जो शहर नर्मदा पम्प स्टेशन से पास है, वहां भेजे जाने वाले पानी की कीमत ज्यादा और जो शहर पम्प स्टेशन से बहुत दूर है, वहां के पानी की कीमत बहुत कम है। दो शहरों से पानी की अलग-अलग कीमतों में अंतर वाला गणित किसी को समझ में नहीं आ रहा है। न ही यह पहेली कोई बूझने को तैयार है कि ऐसा क्यों हो रहा है। नर्मदा विकास प्राधिकरण ओंकारेश्वर नर्मदा पम्प स्टेशन से देवास शहर व इंदौर (सिमरोल) को नर्मदा-शिप्रा लिंक परियोजना के जरिए नर्मदा का पानी मुहैया कराता आ रहा है। सिमरोल से नर्मदा का पानी एमपीआईडीसी, यानी मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम बनाम एकेवीएन अपनी पाइप लाइन के जरिए पीथमपुर सहित अन्य औद्योगिक क्षेत्रों के लिए ले जाता है। यह कैसी पहेली औऱ कैसा गणितइंदौर- बड़वाह होते हुए ओंकारेश्वर से सिमरोल की दूरी लगभग 56 किलोमीटर मानी गई है। नर्मदा पम्प स्टेशन से एमपीआईडीसी को एनवीडीए रोज 30 एमएलडी पानी भेजता है। वहीं ओंकारेश्वर से देवास की दूरी लगभग 112 किमी है। एनवीडीए देवास को भी उतना ही पानी रोज भेजता है, जितना सिमरोल यानी इंदौर को। सबसे बड़ी पहेली यही है कि सिमरोल ओंकारेश्वर से देवास की अपेक्षा आधी दूरी पर है। उधर देवास से ओंकारेश्वर तक की दूरी सिमरोल से दोगुना यानी 56 किमी ज्यादा है। यानी 56 किमी दूरी वाले एमपीआईडीसी के नर्मदा इंडस्ट्री वाटर प्रोजेक्ट को लगभग 28 रुपए और 112 किमी वाले देवास को लगभग 18 रुपए में हजार लीटर पानी मिल रहा है। आखिर दोनों जगह बराबर मिलने वाले पानी की कीमतों में 10 रुपए का इतना बड़ा अंतर क्यों है, यह गुत्थी आज तक समझ से परे है।

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