News Follow Up
मध्यप्रदेश

यूरिया की जगह अब किसानों को मिलेगा नैनो यूरिया

भोपाल । यूरिया की किल्लत को दूर करने के लिए देश में पहली बार नैनो यूरिया का उत्पादन शुरू किया गया है। उत्तर प्रदेश के बाद इसे मध्यप्रदेश के किसानों को उपलब्ध कराने की कार्रवाई चल रही है। गेहूं व सरसों की खेती के लिए नैनो यूरिया उत्पादन में कितना सहायक होगा इसका खुलासा मार्च में दोनों फसलों की कटाई के बाद सामने आएगा।नैनो यूरिया तरल एक नया और अनोखा उर्वरक है जिसे दुनिया में पहली बार इफको द्वारा गुजरात के कलोल स्थित नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर में इफको की पेटेंटेड तकनीक से विकसित किया गया है। इफको ने इस उत्पाद को मई महीने में दुनिया के सामने पेश किया इसकी पहली खेप को गुजरात के कलोल से उत्तर प्रदेश के लिए भेजी गई और अब मध्यप्रदेश के खेतों में भी गेहूं की बोवनी से लेकर टॉप ड्रेसिंगके लिए तरल यूरिया का नवाचार होगा।पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के लिए सुरक्षित नैनो यूरियावरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसएस तोमर के मुताबिक, लीचिंग और गैसीय उत्सर्जन के जरिए खेतों से हो रहे पोषक तत्वों के नुकसान से पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर असर हो रहा है। इसे नैनो यूरिया के प्रयोग से कम किया जा सकता है क्योंकि इसका कोई अवशिष्ट प्रभाव नहीं है। भारत में खपत होने वाले कुल नाइट्रोजन उर्वरकों में से 82 प्रतिशत हिस्सा यूरिया का है और पिछले कुछ वर्षों में इसकी खपत में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2020-21 के दौरान यूरिया की खपत 37 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुंचने का अनुमान है। नैनो यूरिया तरल पर्यावरण हितैषी, उच्च पोषक तत्व उपयोग क्षमता वाला एक अनोखा उर्वरक है जो लंबे समय में प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग कम करने की दिशा में एक टिकाऊ समाधान है, क्योंकि यह नाइट्रस ऑक्साइड के उत्सर्जन को कम कर देता है तथा मृदा, वायु एवं जल निकायों को दूषित नहीं करता है।नैनो यूरिया का आयतन अनुपात 10,000 गुना अधिककृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इफको नैनो यूरिया के एक कण का आकार लगभग 30 नैनोमीटर होता है। सामान्य यूरिया की तुलना में इसका पृष्ठ क्षेत्र और आयतन अनुपात लगभग 10,000 गुना अधिक होता है। इसके अतिरिक्त, अपने अति-सूक्ष्म आकार और सतही विशेषताओं के कारण नैनो यूरिया को पत्तियों पर छिड़के जाने से पौधों द्वारा आसानी से अवशोषित कर लिया जाता है। पौधों के जिन भागों में नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है ये कण वहां पहुंचकर संतुलित मात्रा में पोषक तत्व प्रदान करते हैं।बोतल की पैकिंग में मिलेगा नैनो यूरियाअधिकारियों ने कहा नैनो यूरिया 21वीं सदी का उत्पाद है। आज के समय की जरूरत है कि हम पर्यावरण, मृदा, वायु और जल को स्वच्छ और सुरक्षित रखते हुए आने वाली पीढिय़ों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करें। नैनो यूरिया संयंत्रों में प्रथम चरण में 14 करोड़ व दूसरे चरण में वर्ष 2023 तक अतिरिक्त 18 करोड़ बोतलों का उत्पादन किया जाएगा। इस प्रकार वर्ष 2023 तक ये 32 करोड़ बोतल संभवत: 1.37 करोड़ मीट्रिक टन यूरिया की जगह ले लेंगे।

Related posts

राज्यपाल श्री पटेल ने प्रदेशवासियों को ईद-उल-फितर की बधाई दी

NewsFollowUp Team

प्रदेश की सड़कों की स्थिति खराब नहीं होनी चाहिए, तुरंत प्रारंभ करें कार्य

NewsFollowUp Team

ग्वालियर के 20 से ज्यादा गांव बाढ़ में घिरे, एक को खाली कराया; रपटे पर फंसी बस बचाई गई,

NewsFollowUp Team