मध्यप्रदेश विधानसभा में मंगलवार को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के आरक्षण को लेकर बहस के दौरान CM शिवराज सिंह चौहान ने बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव OBC आरक्षण के साथ ही होंगे। इसके लिए केंद्र सरकार कोर्ट जाएगी, मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले 3 दिन में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के अलावा कानूनविदों से इस बारे में चर्चा की है।विधानसभा में मंगलवार को पंचायत चुनाव में OBC आरक्षण के मामले में कांग्रेस ने चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव दिया था। इस पर बहस के दौरान कमलनाथ ने कहा, कोर्ट के ऑर्डर का बहाना न बनाएं। हम अब साथ कोर्ट चलते हैं। सदन सर्वसम्मति से इसे पास करे कि ये स्वीकार है या नहीं। पंचायत चुनाव की वर्तमान में चल रही प्रक्रिया जारी रहेगी या नहीं? इस पर नगरीय विकास व आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार एक-दो दिन में फैसला लेगी। दरअसल, राज्य निर्वाचन आयोग ने OBC के लिए रिजर्व सीटों को छोड़कर अन्य सीटों पर निर्वाचन की प्रक्रिया को जारी रखा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश हैं कि OBC सीटों को सामान्य घोषित कर अधिसूचना जारी की जाए।कांग्रेस ने लगाई थी रोटेशन के खिलाफ याचिकाशिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस के लोगों द्वारा जो रोटेशन के खिलाफ याचिका लगाई गई थी उस पर ही OBC आरक्षण पर रोक लगाने का निर्णय आया है इसके लिए कांग्रेस ही पूरी तरह से जिम्मेदार है हमारी सरकार ने सभी वर्गों के हितों के लिए काम किए हैं। उन्होंने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग के हितों की रक्षा के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। विपक्ष साथ दे तो ठीक नहीं तो उसके बिना भी अपना अभियान जारी रखेंगे।कांग्रेस का 27% आरक्षण दिखावा थामुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि कांग्रेस में 27% आरक्षण देने का दिखावा किया था उस वक्त लोकसभा के चुनाव थे, लेकिन जब हाईकोर्ट में इस आरक्षण को चुनौती दी गई। तब तत्कालीन महाधिवक्ता ने पैरवी नहीं की। कमजोर पक्ष रखे जाने की वजह से हाईकोर्ट ने उसे स्थगित कर दिया था। हमारी सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण देने का काम किया है। जिन मामलों में हाईकोर्ट में याचिका लंबित है, उन्हें छोड़कर 27% का लाभ दिया जा रहा है। कई नियुक्तियों में आरक्षण का लाभ भी अभ्यर्थियों को मिल चुका है।कोर्ट में क्यों नहीं बोले कांग्रेस के वकीलशिवराज ने सदन में कहा- जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ रहा था, तब कांग्रेस के विद्वान अधिवक्ता उस समय न्यायालय में ही थे। तब उन्होंने यह क्यों नहीं कहा कि वह अपनी याचिका वापस ले रहे हैं। उनकी मंशा यही थी कि कैसे भी चुनाव पर रोक लग जाए हम जो अध्यादेश लाए थे वह नियम कानूनों के तहत था। मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग की पीठ पर छुरा घोंपने का काम कांग्रेस ने किया है।रोटेशन और परिसीमन के अध्यादेश के खिलाफ गए थे कोर्ट : कमलनाथ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ में स्थगन प्रस्ताव पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में यह मामला बीजेपी सरकार के उस अध्यादेश के खिलाफ गया था, जिसमें उन्होंने रोटेशन और परिसीमन को निरस्त कर दिया था। हमारी सरकार ने सीमांकन और रोटेशन किया था, जो विधि सम्मत था। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार ने डेढ़ साल तक कोई चुनाव नहीं कराए। जबकि, इस दौरान विधानसभा के उपचुनाव भी हो गए। फिर अचानक अध्यादेश ले आए, जिससे प्रभावित पक्ष कोर्ट गए।