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मध्यप्रदेश

बुरहानपुर में AIMIM की एंट्री ने भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों को चौंकाया

 मध्कीयप्रदेश विधानसभा चुनाव प्रक्रिया जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, चौंकाने वाली घटनाएं सामने आ रही हैं। अपनों के विरोध का सामना कर रहे भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए एआइएमआइएम की एंट्री बड़ी मुसीबत बन सकती है। इसका कारण जातिगत समीकरण है। दरअसल बुरहानपुर विधानसभा  में करीब सवा लाख मुस्लिम मतदाता हैं। इसी आधार पर कांग्रेस के मुस्लिम व अन्य नेता इस वर्ग से प्रत्याशी बनाने की मांग कर रहे थे।

कांग्रेस के समकक्ष पार्टी

कमलनाथ के इनकार के बाद अधिकांश बड़े नेताओं ने कांग्रेस के समकक्ष जिले में निष्ठावान कांग्रेस खड़ी कर ली है। निष्ठावान कांग्रेस के संभावित निर्दलीय प्रत्याशी की सूची में भी नफीस मंशा खान का नाम शामिल था। इसी बीच एआइएमआइएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने उन्हें औरंगाबाद बुला लिया और अपनी पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर दिया।

कई बड़े नेता बागी प्रत्याशी हर्षवर्धन के साथ

भाजपा के भी कई बड़े नेता बागी प्रत्याशी हर्षवर्धन के साथ जा खड़े हुए हैं। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि अल्पसंख्यक समाज की दोनों दलों से नाराजगी और पार्टी के रुठे नेताओं का बागियों को अघोषित समर्थन दोनों दलों के समीकरणों को बिगाड़ सकता है। यही वजह है कि शनिवार देर शाम एआइएमआइएम द्वारा प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद से भाजपा-कांग्रेस के नेताओं की टेंशन बढ़ गई है।

जीत-हार का फैसला कम मतों से होगा

राजनीतिक पंडितों का मानना है इस बार बुरहानपुर विधानसभा में प्रत्याशियों की संख्या ज्यादा होने से जीत-हार का फैसला ज्यादा वोटों से नहीं होगा। साठ से सत्तर हजार वोट हासिल करने वाला प्रत्याशी जीत हासिल कर लेगा। उन्होंने जो गणित समझाया, उसके अनुसार विधानसभा में करीब 3.22 लाख मतदाता हैं। बाहर निवास करने व अन्य कारणों से इनमें से अधिकतम ढाई से पौन तीन लाख मतदाता ही मतदान में भाग लेंगे।

प्रमुख रूप से भाजपा प्रत्याशी अर्चना चिटनिस के साथ भाजपा के बागी हर्षवर्धन सिंह चौहान और कांग्रेस प्रत्याशी ठा. सुरेंद्र सिंह के साथ कांग्रेस के बागी व एआइएमआइएम के प्रत्याशी नफीश मंशा खान चुनाव मैदान में हैं। इसके अलावा दोनों दलों के अलावा बसपा, आप सहित अन्य दल व निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में हैं। छोटे दल और अन्य निर्दलीय यदि 40 हजार वोट भी लेते हैं तो स्थिति क्या होगी अंदाजा लगाया जा सकता है।

आज नामांकन दाखिले की अंतिम तिथि

सोमवार को नामांकन दाखिले की अंतिम तिथि है। लिहाजा शेष रहे प्रत्याशी सोमवार को अपने नामांकन दाखिल करेंगे। मंगलवार को नामांकन पत्रों की जांच होगी और दो नवंबर तक प्रत्याशी नाम वापस ले सकेंगे। तीन नवंबर से यह तय होगा कि कितने प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं और कितने रूठे मान गए हैं। शनिवार रात सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल व भाजपा जिलाध्यक्ष मनोज लधवे ने नाराज चल रहे पूर्व निगम अध्यक्ष मनोज तारवाला से करीब एक घंटे बंद कमरे में बात की थी। कांग्रेस में भी रूठों को मनाने का दौर जारी है

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