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मध्यप्रदेश

तीसरी लहर की आशंका के बीच टल सकता है स्कूल खोलने का फैसला

भोपाल । प्रदेश में सरकार ने इसी महीने के आखिरी में 26 जुलाई से ग्यारवीं एवं बारहवीं की कक्षाएं शुरू करने का फैसला कर लिया है। जल्द ही स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद स्कूल संचालक संस्थाओं को खोलने की तैयारी में जुट गई है। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी के बाद भारत सरकार ने मप्र सहित अन्य राज्यों को तीसरी लहर से निपटने के लिए तैयार रहने की चुनौती जारी की है। इन राज्यों में कोरोना के डेल्टा प्लस वैरियंट का खतरा बताया है। ऐसे में प्रदेश में स्कूल खोले जाने का फैसला फिलहाल टल सकता है।
प्रदेश में अभी भी रात्रि कफ्र्यू के हालात बने हुए हैं। भीड़भाड़ भरे कार्यक्रम, राजनीतिक, धार्मिक एवं भीड़ वाले अन्य कार्यक्रमों पर फिलहाल पूरी तरह रोक है। इसके बावजूद भी सरकार ने स्कूल खोलन का ऐलान कर दिया है। इस फैसले को निजी स्कूलों के दबाव में लिया गया फैसला बताया जा रहा है। क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के स्कूल खोलने की घोषणा से पहले निजी स्कूलों ने ऑनलाइन पढ़ाई बंद करके विरोध किया था। निजी स्कूल बढ़ी हुई फीस वसूलने के लिए दबाव बना रहे हैं। जबकि राज्य सरकार ने अभी तक सिर्फ ट्यूशन फीस वसूलने की छूट दे रखी है। जबकि स्कूल बढ़ी हुई फीस वसूलने के लिए अड़े हुए हैं।
इसलिए लिए लिया फैसला
प्रदेश में सक्रिय मरीजों की संख्या सिर्फ 271 रह चुकी है। अभी तक कुल 7 लाख 91 हजार 594 कोरोना मरीज सामने आ चुके हैं। जिनमें से 7 लाख 80 हजार 815 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। जबकि 10508 लोगों की मौत हुई है। प्रदेश में वैक्सीनेशन अभियान भी चल रहा है। अभी तक 2 लाख 45 लाख 68 लोगों को टीका लग चुका है। हालांकि पिछले कुछ समय से टीके की रफ्तार धीमी है।
दो महीने में भूल गई दूसरी लहर की तबाही
प्रदेश में हालात सामान्य है, लेकिन भारत सरकार बार-बार चेतावनी जारी कर तीसरी लहर का खतरा बता रही है। कोरोना के डेल्टा प्लस वैरियंट का केस सबसे पहले मप्र ही सामने आया था। इस वैरियंट से सात मरीजों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। हालांकि पिछले 20 दिन से प्रदेश में डेल्टा प्लस वैरियंट का एक भी केस सामने नहीं आया है। सामान्य होते हालात में सरकार ने स्कूल खोलने का फैसला किया है। हालांकि कोरोना की दूसरी लहर के भयंकर तबाही हुई थी। इन हालातां केा दो महीने के भीतर भुला दिया गया है। देश में पॉजिटिव केसेस की बात करें तो अब भी औसतन 40 हजार से अधिक मामले रोज मिल रहे हैं।

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