प्रदेश में विधानसभा चुनाव का शोरगुल थम गया है। जनता ने अपना निर्णय भी दे दिया है। 3 दिसंबर को चुनाव परिणाम आने के साथ ही यह तस्वीर साफ हो जाएगी कि कौन सरकार में रहेगा और कौन विपक्ष में। इसमें जनता, नेता और राजनीतिक दलों की रुचि तो है ही अधिकारी भी खूब गुणा-भाग में लगे हैं। लोकायुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति भी नई सरकार करेगी। चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण सूचना आयुक्तों की नियुक्ति होते-होते रुक गई थी।
2018 में कांग्रेस की सरकार बनने पर हुआ था बड़ा बदलाव
अधिकारी इस कारण भी गुणा-भाग लगा रहे हैं कि वर्ष 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद पुलिस महानिदेशक ऋषि कुमार शुक्ला को हटा दिया गया था। इसी तरह कांग्रेस सरकार ने मुख्य सचिव रहे एसआर मोहंती को सेवाकाल पूरा होने के पहले ही हटाकर एम गोपाल रेड्डी को मुख्य सचिव बनाया था। भाजपा की सरकार बनते ही उन्हें हटाकर इकबाल सिंह बैंस को मुख्य सचिव बनाया गया। हर सरकार अपने हिसाब अधिकारियों की पदस्थापना करती है। इस कारण बड़े अधिकारियों की भी चुनाव परिणाम में टकटकी लगी है।
प्रदेश में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता नौ अक्टूबर को लागू हुई थी। उसी दिन तीन सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री आवास में बैठक रखी गई थी। इस पर चयन समिति के सदस्य और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डा. गोविंद सिंह ने मात्र एक दिन पहले सूचना देने पर आपत्ति जाहिर की थी। आचार संहिता लगने के बाद नियुक्तियां रुक गई थीं।
प्रदेश के वर्तमान लोकायुक्त एनके गुप्ता का कार्यकाल भी 17 अक्टूबर को पूरा हो चुका है। उनकी जगह नए लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं होने के कारण नियमानुसार उनका कार्यकाल स्वत: बढ़ गया है। हालांकि, नियम में यह शर्त भी है कि यह सेवावृद्धि एक वर्ष से अधिक नहीं होगी। नई सरकार के गठन के बाद जल्द ही लोकायुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया भी शुरू हो सकती है। इसके अलावा कुछ अन्य सरकारी नियुक्तियां भी रुकी हुई हैं। जनता को भी नई सरकार बनने की प्रतीक्षा है। वजह यह कि मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान सहित कई काम रुके हैं। विकास कार्य और कई विभागों में खरीदी बंद है।