शुक्रवार को केपी इंटर कालेज के सभागार में मीडिया साक्षरता अभियान के तहत सच के साथी सीनियर्स 2023-24 कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस आयोजन में जागरण न्यू मीडिया की फैक्ट चैकिंग विंग विश्वास न्यूज के एसोसिएट एडिटर अभिषेक पाराशर ने बताया कि इंटरनेट मीडिया पर हर तरह की जानकारियां हर समय मिलती रहती हैं। इन जानकारियों में से कुछ सही, कुछ गलत, तो कुछ अपने फायदे के लिए डाली जाती हैं। ऐसी पोस्ट विवादित होती हैं। ऐसे में इंटरनेट पर हर यूजर को अतिसंवेदनशीलता के साथ जानकारियों को शेयर करने की जरूरत है।
फिशिंक लिंक पर सोच समझकर क्लिक करना चाहिए, वरना आपके साथ वित्तीय धोखाधड़ी हो सकती है। हर जानकारी का अगर फैक्ट चेक करने की हमारी आदत बन गई, तो भ्रामक सूचनाएं रुक जाएंगी
फैक्ट चेकर पाराशर ने बताया कि वाट्स्एप, फेसबुक, एक्स या किसी दूसरे प्लेटफार्म पर कोई जानकारी आई है, तो उसके बारे में तार्किक होकर विचार करें। उसके बाद उस जानकारी से संबंधित विषय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर जानकारी की जांच करें। यह भी देखें की इस जानकारी साझा करने वाला व्यक्ति इस विषय का एक्सपर्ट है कि नहीं।
गूगल ओपन सर्च व गूगल रिवर्स इमेज सर्च की भी सहायता लेकर संबंधित जानकारी का फैक्ट चेक खुद भी कर सकते हैं। ऐसी कई जानकारियों के लिए लोग फोटो और वीडियो को साझा करते हैं। उसके लिए गूगल ओपन सर्च और गूगल रिवर्स इमेज का उपयोग कर सकते हैं।
डीपफेक वीडियो को ऐसे पहचाने
जागरण न्यू मीडिया के डिप्टी एडिटर शरद अस्थाना ने बताया कि आखि कैसे हम डीपफेक आर्टिफिशियल इमेज या वीडियो की सच्चाई को जान सकते हैं। उन्होंने बताया कि मशीन लर्निंग के जरिए डीप लर्निंग का प्रयोग कर इसको पहचाना जा सकता है। एआई इतना सटीक नहीं हुआ है कि शत-प्रतिशत सटीक फेक वीडियो या इमेज बना सके।