कंगाली की कगार पर पहुंचे इंदौर नगर निगम के लिए ग्रीन बांड गले की हड्डी बनता दिख रहा है। 10 महीनों में बांड से नगर निगम की कोई कमाई तो हुई नहीं, उलटा ब्याज गले पड़ गया है। अगस्त में 12 करोड़ रुपये बांड के ब्याज के तौर पर चुका दिए गए हैं। फरवरी में ब्याज की दूसरी किस्त सिर पर आ गई है। जानकार कह रहे हैं कि निगम ने जल्दबाजी में बिना तैयारी के बांड जारी कर दिया। आशंका जताई जा रही है कि ढर्रा ऐसा ही रहा तो बांड का ब्याज और मूल चुकाने के लिए निगम को आगे फिर कर्ज लेना पड़ सकता है।
फरवरी 2023 में इंदौर नगर निगम ने ग्रीन बांड जारी किया था। निवेशकों को करीब साढ़े आठ प्रतिशत वार्षिक ब्याज का प्रस्ताव देकर निगम ने बांड जारी किए थे। इससे 244 करोड़ रुपये निगम ने जुटा भी लिए। बांड की शर्त के मुताबिक नगर निगम को इस राशि का उपयोग जलूद में 60 मेगावाट का सोलर पावर प्लांट बनाने के लिए करना था। प्लांट बनता, ऊर्जा उत्पादन शुरू होता तो नगर निगम को मासिक 7-8 करोड़ रुपये का लाभ होता। ऐसे में बांड का ब्याज और मूल चुकाने का पैसा भी निगम के पास आ जाता।