नरेंद्र सिह तोमर को केंद्रीय कृषि कल्याण मंत्री पद से इस्तीफा दिलाकर मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी देने के बाद दिल्ली में नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का वजन निश्चित तौर पर बढ़ने वाला है। वजह, सिंधिया अब ग्वालियर-चंबल से इकलौते केंद्रीय मंत्री है। नये राजनीतिक परिदृश्य में न सिर्फ अंचल में उनका वजन बढ़ेगा बल्कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह के और नजदीक आने का मौका मिलेगा। लोककभा चुनाव में ग्वालियर-चंबल अंचल की चारों सीटों पर सिंधिया को पार्टी से तवज्जो मिलेगी। कांग्रेस में भी सिंधिया का यही कद था। हालांकि भाजपा में कद राजनीतिक समीकरणों के हिसाब से ऊपर-नीचे होता रहता है। इसका नरेंद्र सिंह तोमर ज्वलंत उदाहरण हैं।
भाजपा को बढ़त दिलाने में सिंधिया की भी भूमिका अहम
यह बात सही है कि भाजपा में चुनाव कोई एक व्यक्ति नहीं, पूरा संगठन लड़ता है। चाहे चुनाव छोटा हो या बड़ा। प्रदेश विधानसभा के चुनाव के केंद्र में पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर थे, लेकिन दिमनी विधानसभा चुनाव घिर जाने के कारण पूरा भार सिंधिया पर आ गया था। सिंधिया ने ग्वालियर-अंचल सहित अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में पहले व चुनाव के दौरान जो मेहनत की, उसे नकारा नही जा सकता है। चुनाव से पहले सम्मेलनों के माध्यम से समाज संगठनों से मेल-जोल बढ़ाया और शिवराज सिंह चौहान के बाद पूरे प्रदेश में कुल 80 चुनावी संभाएं कीं। अंचल के बड़े कांग्रेसी नेता डा गोविंद सिंह, केपी सिंह, लाखन सिंह व प्रवीण पाठक सरीखे नेताओं को चुनाव में धूल चटा दी।
अब तक नरेंद्र सिंह केंद्र से मिलने
वाले मान-सम्मान में थे साझेदार अंचल से नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में दो कैबिनेट स्तर के मंत्री थे। पहले नंबर नरेंद्र सिंह तोमर का नाम लिया जाता था, क्योंकि संगठन में उनकी मजबूत पकड़ होने के कारण मंत्रिमंडल में भी तोमर की गिनती टाप फाइव में होती थी। दूसरे नंबर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम लिया जाता था। क्योंकि वे पौने चार साल पहले ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे। इसलिए संगठन में उनकी वजनदारी को कम आंका जाता था। केंद्र से मिलने वाले मान-सम्मान में भी नरेंद्र सिंह तोमर उनके साझेदार होते थे। अब अंचल से इकलौते केंद्रीय मंत्री होने के कारण सिंधिया की सेंट्रल में पूछ-परख बढ़ेगी और अंचल से जुड़े निर्णयों में उनकी प्रमुख भूमिका होगी, क्योंकि उनके कद के बराबर फिलहाल इस क्षेत्र में संगठनस्तर पर कोई नेता नही हैं।
कांग्रेसी जरूर परेशान और दुखी होंगे
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से पलायन करने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की नजर भाजपा में सिंधिया की स्थिति पर होती थी। दिग्विजय सिंह सहित कांग्रेस के बढ़े नेता यह कहकर महल पर हमला बोलते थे, यहां महाराज थे। भाजपा में जाने के बाद दर-दर भटक रहे हैं। कांग्रेसियों की यहां तक नजर रहती थी मंच पर सिंधिया को कौन से नंबर की कुर्सी पर स्थान दिया गया है। स्टार प्रचारकों में सिंधिया का कौन सा नंबर है। भाजपा में सिंधिया का कद बढ़ने से कांग्रेसी जरूर परेशान होंगे। चुनावी समीकरणों से महल को अंचल में मजूबत आधार मिला है।