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अमेरिका बनेगा भारत की अगुवाई वाले इंटरनेशनल सोलर अलायंस का हिस्सा

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे में अमेरिका के भारतीय अगुवाई वाले इंटरनेशनल सोलर अलायंस हिस्सेदारी का ऐलान संभव है. उम्मीद की जा रही है कि 24 सितंबर को राष्ट्रपति भवन वार्डन और प्रधानमंत्रीरी मोदी के बीच होने वाली मुलाकात के बाद इसका औपचारिक हो घोषणा हो सकती है. सूत्रों के मुताबिक भारत की तरफ से अमेरिका को आइएसए में शरीक होने का आग्रह भेजा गया था. इसपर अमेरिकी पक्ष की तरफ से सैद्धांतिक सहमति भी जताई गई है. अमेरिका सरकार में इसके कानूनी पहलुओं के आकलन के बाद इसकी औपचारिक घोषणा भी हो जाएगी. यदि ऐसा होता है तो यह दूसरा ऐसा समूह होगा जिसकी अगुवाई भारत ने की और अमेरिका उसमें शामिल होगा. अमेरिका भारत के प्रयासों पर बनाए गए कोइलिशन ऑफ डिजास्टर रेज़ीलियन्ट इंफ्रास्ट्रक्चर यानि सीडीआरआई का भी हिस्सा है. जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर राष्ट्रपति जो बाइडन की प्राथमिकताओं और 2 महीने बाद ब्रिटेन के ग्लासगो में होने वाली COP26 बैठक से पहले अमेरिका का इंटरनेशनल सोलर अलायंस में साथ आना एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा.

सोलर फर्स्ट ने भारत में बड़े निवेश के भी संकेत दिएवाशिंगटन पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकातों में अमेरिकी सौर ऊर्जा कम्पनी सोलर फर्स्ट के सीईओ से मुलाकात ने सोलर गठबंधन में अमेरिका की सक्रिय भागीदारी के निशान और भी स्प्ष्ट कर दिए. उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक पीएम सोलर फर्स्ट के सीइओ मार्क विडमर से मिलेंगे जिनकी कम्पनी के पास उच्च क्षमता वाली सौर ऊर्जा तकनीक हैं जो फिलहाल भारत के पास उपलब्ध नहीं है. सोलर फर्स्ट ने भारत में बड़े निवेश के भी संकेत दिए हैं.अमेरिका के आईएसए का हिस्सा बनते ही वार्ड के सभी देश सौर ऊर्जा सहयोग के इस मंच पर साथ हो जाएंगे. महत्वपूर्ण है कि ऑस्ट्रेलिया और जापान पहले से ही आईएसए में शामिल हैं. इंटरनेशनल सोलर अलायंस दुनिया के 80 से अधिक देशों का सहयोग समूह है जिसमें फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, सऊदी अरब, ओमान समेत कई अहम मुल्क भी शरीक हैं.2030 तक सौर ऊर्जा क्षेत्र को विकसित करने का लक्ष्यआइएसए का लक्ष्य 2030 तक सौर ऊर्जा क्षेत्र को विकसित करने के लिए 1000 अरब डॉलर के निवेश की धारा बनाना है. साथ ही सौर ऊर्जा तकनीक के विकास व जोखिम निस्तारण को अधिक बेहतर बनाना है. इसमें सदस्य देशों में सौर ऊर्जा इस्तेमाल बढ़ाने के लिए आसान वित्तपोषण की व्यवस्था बनाने पर भी जोर है.भारत ने 2015 की पेरिस COP25 बैठक के दौरान इंटरनेशनल सोलर अलायंस को पेश किया था. मेज़बान पेरिस इस सौर ऊर्जा सहयोग सँगठनक को समर्थन जताते हुए साथ आने वाला पहला बड़ा देश था. इसके अलावा बाद में सौर ऊर्जा की बहुलता वाले क़ई अफ्रीकी और एशियाई देश भी इसका हिस्सा बने.

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