शहर के मध्य विधानसभा क्षेत्र में चुनाव रण में उतरे भाजपा के ध्रुव नारायण सिंह और कांग्रेस के आरिफ मसूद दिन-रात जनसंपर्क में जुटे हैं। प्रत्याशी हिन्दू-मुस्लिम मतदाताओं को साधने के लिए मंदिर, मजिस्द, गुरुद्वारा और जिनालयों में जा रहे हैं। बाजारों से लेकर कालोनियों में दस्तक दे रहे हैं। ध्रुव नारायण सिंह के सामने जनता से संबंधों के पुराने तार फिर जोड़ने की चुनौती है। वह जनता के बीच जाकर वर्ष-2008 से 2013 तक बतौर विधायक रहते हुए किए गए काम याद दिला रहे हैं। वहीं मसूद 2018 में विधायक बनने के बाद किए गए विकास कार्यों गिनाने से लेकर लगातार उनके बीच रहने की दुहाई देकर मतदाताओं से वोट मांग रहे हैं। जीत-हार का पता तीन दिसंबर को चुनाव परिणाम आने के बाद ही चलेगा। फिलहाल दोनों प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं।
भोपाल की मध्य विधानसभा सीट पर भाजपा व कांग्रेस के बीच चुनावी महासमर में कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। नए व पुराने शहर की बीच पट्टी को अलग करके यह विधानसभा क्षेत्र वर्ष-2008 में परिसीमन के दौरान दक्षिण विधानसभा सीट से अलग किया गया। यहां 60 प्रतिशत से अधिक हिन्दू मतदाता हैं तो 40 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता भी हैं। एक तरफ राजधानी की सबसे पाश कालोनी अरेरा कालोनी ई-एक से लेकर आठ तक इसी क्षेत्र में आती है, जिसमें अधिकारी, व्यवसायी, उद्याेगपतियों की संख्या अधिक है। दूसरी ओर ईश्वर नगर, पीसी नगर, जहांगीराबाद, जिंसी, बरखेड़ी जैसे बस्ती समेत कालोनियां हैं। हनुमानगंज जैसा थोक किराना बाजार भी आता है। भीतरी कालोनियों की उखड़ी सड़कें, बाजारों में अस्थाई अतिक्रमण, खुली नालियां, खाली प्लाट पर गंदगी की समस्या का सौ प्रतिशत निराकरण नहीं हुआ है।
यह है मध्य विधानसभा का इतिहास
वर्ष-2008 विधानसभा चुनाव में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय गोविंद नारायण सिंह के बेटे ध्रुव नारायण सिंह को 50 हजार 61 वोट मिले। वहीं कांगेस के नासिर इस्लाम को 47 हजार 542 मत मिल सके। ध्रुव नारायण ने 2519 मतों से इस्लाम को हराया था। वर्ष-2013 विधानसभा चुनाव में शैहला मसूद हत्याकांड में ध्रुव नारायण सिंह का नाम आने से भाजपा ने उपका टिकट काट कर भाजपा के सुरेंन्द्रनाथ सिंह मम्मा को टिकट दे दिया। वहीं कांग्रेस ने इस्लाम को टिकट न देकर आरिफ मसूद को चुनावी मैदान में उतारा। दूसरी बार फिर भाजपा ने मध्य विधानसभा क्षेत्र में जीत दर्ज की। सुरेन्द्रनाथ सिंह मम्मा को 70 हजार 696 मत मिले और कांग्रेस के मसूद को 63 हजार 715 मत ही मिल सके। मम्मा ने मसूद को छह हजार 981 मतों से मात दे दी। हारने के बाद मसूद ने निरंतर पांच वर्ष जमीनी स्तर पर मेहनत की। इसी आधार पर वर्ष-2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आरिफ मसूद को प्रत्याशी बनाया। वहीं भाजपा ने फिर मम्मा पर भरोसा कर मैदान में उतारा। इस बार बतौर विधायक अस्थाई अतिक्रमण कराने व विकास कार्यों की गति न देने के चलते मध्य जनता ने मसूद को 14 हजार 757 वोटों से जिताकर विधायक बनाया। मसूद को 76 हजार 647 मत मिले और मम्मा को 61 हजार 890 मतों से संतोष करना पड़ा।
कौन -कब विधानसभा चुनाव में जीता
वर्ष – प्रत्याशी – पार्टी – कितने मतों से जीते
2008 : ध्रुव नारायण सिंह, भाजपा, 2519
2013 : सुरेंद्रनाथ सिंह मम्मा, भाजपा, 6981
2018 : आरिफ मसूद, कांग्रेस,14757
भाजपा व कांग्रेस को मिले वोट शेयर
वर्ष : 2008
48.60 प्रतिशत भाजपा
46.16 प्रतिशत कांग्रेस
वर्ष : 2013
51.55 प्रतिशत भाजपा
46.46 प्रतिशत कांग्रेस
वर्ष : 2018
53.20 प्रतिशत भाजपा
42.46 प्रतिशत कांग्रेस
भाजपा की जीत पक्की है। कांग्रेस के विधायक मसूद ने सिर्फ विकास कार्यों का श्रेय लिया है। भाजपा सरकार में सड़कों का निर्माण से लेकर लोगों को बुनियादीं सुविधाए मिली हैं।
-ध्रुव नारायण सिंह, भाजपा प्रत्याशी
पूरे विधानसभा क्षेत्र में विधायक निधि से टीन शेडों का निर्माण से लेकर सड़कों, स्ट्रीट लाइट, ओपन जिम, पार्कों का निर्माण कराया। कांग्रेस को जनता का आशीर्वाद मिल रहा है। कमल नाथ सरकार बन रही है।
-आरिफ मसूद, कांग्रेस प्रत्याशी