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मेटल कबाड़ बेचने से शुरुआत, आज जिंक बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी वेदांता का मार्केट कैप 83 हजार करोड़मेटल कबाड़ बेचने से शुरुआत, आज जिंक बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी

मेगा एंपायर वेदांता, जिंक, लेड, एल्युमिनियम और सिल्वर बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। इसके फाउंडर अनिल अग्रवाल इंडिया के मेटल मैन के नाम से जाने जाते हैं।। कंपनी का मार्केट कैप करीब 83 हजार करोड़ रुपए है। हाल ही में कंपनी ने डीमर्जर का ऐलान किया है।इससे वेदांता लिमिटेड के हर शेयर के लिए शेयर-होल्डर्स को 5 नई लिस्टेड कंपनियों में प्रत्येक का 1-1 शेयर एक्स्ट्रा मिलेगा। इस ऐलान के बाद वेदांता चर्चा में है।

अनिल अग्रवाल बिहार के पटना में पैदा हुए। वे चार भाई-बहन थे। पिता की आमदनी बहुत ज्यादा नहीं थी। वे पटना में ही एक छोटी सी एल्युमिनियम कंडक्टर की चलाते थे।अनिल की शुरुआती पढ़ाई पटना में ही हुई। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें पटना से बाहर जाना था, लेकिन उन्होंने तय किया कि वे पिता के बिजनेस में हाथ बटाएंगे। इसके बाद वे पिता के साथ काम करने लगे।

हालांकि कुछ सालों बाद अनिल का मन फिर से बाहर जाने का करने लगा। 19 साल की उम्र में वे पटना से मुंबई आ गए। साथ में था एक टिफिन बॉक्स और बिस्तर। अनिल ने पिता को बिजनेस करते देखा था, इसलिए उन्हें नौकरी की दुनिया पसंद नहीं आई।

मुंबई आने के बाद कुछ सालों तक अनिल अलग-अलग धंधे में हाथ आजमाते रहे। कुछ समय तक कबाड़ी का भी बिजनेस किया।

कैंब्रिज में एक बार बोलते हुए उन्होंने बताया था कि मेरे शुरुआती 30 साल संघर्ष में बीते। सालों तक डिप्रेशन में रहा।

इसके बाद 1976 में शमशेर स्टर्लिंग केबल कंपनी खरीदी। तब मेरे पास वर्कर्स को सैलरी देने और रॉ मटेरियल खरीदने के लिए पैसे नहीं थे।

दिन-दिन भर मैं पेमेंट क्लियर कराने के लिए बैंकों के चक्कर काटता था। इसके बाद मैंने अलग-अलग फील्ड में 9 बिजनेस शुरू किए। हर बिजनेस में असफलता मिली, लेकिन मैंने हार नहीं मानी।’

इसके बाद 1976 में अनिल ने एक नई कंपनी शुरू की और नाम रखा वेदांता रिसोर्सेज। शुरुआत में ही इस बिजनेस में उन्हें फायदा होने लगा। इस प्रॉफिट का उन्होंने दूसरी कंपनियों को अधिग्रहित करने में इस्तेमाल किया।

1993 में उन्होंने औरंगाबाद में एल्युमिनियम शीट्स और फॉइल्स बनाने का प्लांट लगाया। इसके साथ ही यह भारत की पहली कॉपर रिफाइनरी प्राइवेट कंपनी बन गई।2001 में भारत सरकार ने प्राइवेट कंपनियों को सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी का ऑफर दिया। तब वेदांता रिसोर्सेज ने भारत एल्युमिनियम कंपनी में 51% शेयर खरीद लिया। यह सौदा 551.50 करोड़ रुपए में हुआ।

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